KERALA केरल के बारे में :
भारत के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित केरल, एक ऐसा राज्य है जो अपने सुरम्य परिदृश्य, समृद्ध संस्कृति और परंपरा और विविध भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह अपनी उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए भी जाना जाता है, जो साल भर बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम के रूप में भी जाना जाता है) है, और अन्य प्रमुख शहरों में कोच्चि, कोझिकोड और कोल्लम शामिल हैं।
केरल पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है, इसीलिए इसे ‘God’s Own Country’ अर्थात् ‘ईश्वर का अपना घर’ नाम से पुकारा जाता है। यहाँ अनेक प्रकार के दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें प्रमुख हैं – पर्वतीय तराइयाँ, समुद्र तटीय क्षेत्र, अरण्य क्षेत्र, तीर्थाटन केन्द्र आदि। इन स्थानों पर देश-विदेश से असंख्य पर्यटक भ्रमणार्थ आते हैं। मून्नार, नेल्लियांपति, पोन्मुटि आदि पर्वतीय क्षेत्र, कोवलम, वर्कला, चेरायि आदि समुद्र तट, पेरियार, इरविकुळम आदि वन्य पशु केन्द्र, कोल्लम, अलप्पुष़ा, कोट्टयम, एरणाकुळम आदि झील प्रधान क्षेत्र (backwaters region) आदि पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण केन्द्र हैं।
बुनियादी राज्य तथ्य | विवरण |
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राज्य का दर्जा कब मिला | 01 नवम्बर 1956 |
राजधानी | तिरुवनन्तपुरम |
जिले की संख्या | 14 |
राज्यपाल | पी सतशिवम |
मुख्यामंत्री | पिनाराई विजयन |
उच्च न्यायालय | केरल उच्च न्यायालय |
मुख्य न्यायाधीश: | जस्टिस एस . मणिकुमार |
विधान सभा के सदस्य की संख्या | 140 |
लोक सभा सीटों की संख्या | 20 |
राजसभा सीटों की संख्या | 09 |
केरल राज्य पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में भारतीय राज्य तमिलनाडु और उत्तर में कर्नाटक और तमिलनाडु के भारतीय राज्यों से घिरा है। राज्य का क्षेत्रफल 38,863 वर्ग किलोमीटर है और इसकी आबादी लगभग 35 मिलियन है। केरल की आधिकारिक भाषा मलयालम है, जो अधिकांश आबादी द्वारा बोली जाती है।
केरल की मुख्य विशेषताओं में से एक इसकी समृद्ध संस्कृति और परंपरा है। केरल में धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का एक लंबा इतिहास रहा है, जो इसके विभिन्न त्योहारों, कला रूपों और अनुष्ठानों में परिलक्षित होता है। राज्य कई प्रसिद्ध त्योहारों का घर है, जैसे कि ओणम, जो सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है और अपनी सर्प नौका दौड़ के लिए जाना जाता है, और त्रिशूर पूरम, जो हाथियों और संगीत के साथ एक शानदार मंदिर उत्सव है। केरल अपने कथकली नृत्य-नाटक के लिए भी जाना जाता है, जो भारतीय रंगमंच का एक पारंपरिक रूप है जो हिंदू पौराणिक कथाओं को बताने के लिए संगीत, नृत्य और अभिनय को जोड़ता है।
केरल का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू इसकी प्राकृतिक सुंदरता है। यह राज्य अपने बैकवाटर्स, आपस में जुड़ी नहरों, लैगून और झीलों के एक नेटवर्क के लिए प्रसिद्ध है, जो अरब सागर तट के समानांतर चलते हैं। ये बैकवाटर एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं और नाव की सवारी, मछली पकड़ने और हाउसबोट ठहरने जैसी विभिन्न गतिविधियों की पेशकश करते हैं। केरल मुन्नार और वायनाड जैसे कई हिल स्टेशनों का भी घर है, जो पश्चिमी घाटों के लुभावने दृश्य पेश करते हैं और ट्रेकिंग और अन्य साहसिक खेलों के लिए लोकप्रिय स्थान हैं। इसके अतिरिक्त, केरल भारत में कोवलम, वर्कला और मारारी जैसे कुछ सबसे खूबसूरत समुद्र तटों को समेटे हुए है।
केरल अपनी आयुर्वेदिक परंपरा के लिए भी जाना जाता है। आयुर्वेद, चिकित्सा की प्राचीन भारतीय प्रणाली, केरल में उत्पन्न हुई और अभी भी राज्य में व्यापक रूप से प्रचलित है। केरल कई आयुर्वेदिक केंद्रों और रिसॉर्ट्स का घर है जो आयुर्वेदिक सिद्धांतों के आधार पर उपचार, मालिश और अन्य उपचार प्रदान करते हैं।
कुल मिलाकर, केरल एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविध परिदृश्य वाला राज्य है। अपने सुरम्य बैकवाटर और सुंदर समुद्र तटों से लेकर इसके जीवंत त्योहारों और आयुर्वेदिक परंपरा तक, केरल में हर किसी के अनुभव के लिए कुछ न कुछ है। सामाजिक सद्भाव, सहिष्णुता और विविधता का इसका इतिहास इसे यात्रा करने के लिए एक अद्वितीय और आकर्षक जगह बनाता है।